आडवाणी जी मजबूर होकर इशारों- इशारों में कह रहे हैं "मैं अब प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नहीं हूं" लेकिन न तो उनकी उम्र अब इशारों में बात करने की है न ही वो अपने दिल की बात कह रहे हैं . सच तो ये है कि उनके मन में कुर्सी की लालसा अभी बाकी है. आडवाणी जी बस एक बार प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. एकबार लाल किले पर झंडा फहराना चाहते हैं लेकिन आरएसएस वाले उनके रास्ते में रोड़ा अटका रहे हैं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर बुलाकर कह दिया कि आडवाणी जी अब बहुत हो गया. आप ये उम्मीद न रखें कि आपका कोई चांस है. आडवाणी जी से कहा गया कि उन्हें अब नौजवानों को मौका देना चाहिए. ये अलग बात है कि बीजेपी के सारे नौजवान दावेदार 55 से ऊपर के हैं आडवाणी जी से ये बात कुछ और नेताओं ने भी कही थी. एक बड़े नेता ने सीधे-सीधे कह दिया था कि अब उन्हें रिटायर होने के बारे में सोचना चाहिए, पर आडवाणी जी अपने मेडिकल सर्टिफिकेट दिखाने लगे. आंखों में आंसू भरकर बताने लगे कि तथाकथित नौजवान दावेदारों के मुकाबले वो ज्यादा फिट हैं.. न उन्हें डायबिटीज है, न उनका वज़न ज्यादा है, न उन्होंने हार्ट का ऑपरेशन करवाया है, न उनकी उर्जा में कमी आई है, लेकिन शायद आडवाणी जी ये नहीं जानते कि उनकी ऐसी बातों पर लोग पीठ पीछे हंसते हैं
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